बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन
प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
अथवा
निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए। (a) जनमत संग्रह (b) आरम्भक
अथवा
स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र और उसके उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
लोकनिर्णय और आरम्भक से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में उसकी सफलता के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र
स्विट्जरलैण्ड को प्रत्यक्ष लोकतन्त्र का घर कहा जाता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ आज प्रत्यक्ष लोकतन्त्र विद्यमान है। स्विट्जरलैण्ड के कैण्टनों में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की व्यवस्था लागू है जिसमें से एक पूर्ण कैण्टन और चार अर्द्ध कैण्टन है जिनमें प्रत्यक्ष लोकतन्त्र विद्यमान हैं यह कैण्टन निम्न हैं-
1. ग्लेरस (पूर्ण कैण्टन)
2. ओब बाल्डेन (अर्द्ध कैण्टन)
3. निड वाल्डेन (अर्द्ध कैण्टन)
4. इनर अपैन्जेल (अर्द्ध कैण्टन)
5. आउटर अपैन्जेल (अर्द्ध कैण्टन)
स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र के उपकरण
स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र को लागू करने के लिए निम्न प्रत्यक्ष लोकतान्त्रिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है-
1. प्रारम्भिक सभाएँ (लैण्ड्सजीमिण्ड)
2. लोकनिर्णय
3. आरम्भक
1. प्रारम्भिक सभाएँ (लैण्ड्सजीमिण्ड ) - स्विस कैण्टनों में विधानमण्डल का कार्य प्रारम्भिक सभा (लैण्ड्सजीमिण्ड ) द्वारा किया जाता है। इन 6 कैण्टनों में नागरिकों की वर्ष में एक बार या आवश्यकतानुसार इससे अधिक बार प्रारम्भिक सभाएँ होती है। जिसमें 20 वर्ष या इससे अधिक आयु के स्त्री-पुरुष को वाद-विवाद में भाग लेने व मत देने का अधिकार होता है। इस प्रारम्भिक सभा को स्विटजरलैण्ड में "लैण्ड्सली मिण्ड" कहा जाता है। इस सभा में अगले तक के लिए प्रशासनिक कार्य चलाने हेतु एक कार्यकारिणी परिषद का चुनाव किया जाता है जिसका प्रधान लैण्डसमैन कहा जाता है। यह सभा बजट पारित करती है। यह सभा कैण्टन के न्यायाधीशों और अन्य सरकारी अधिकारियों और राज्य परिषद के लिए प्रतिनिधि भी चुनती है। प्रारम्भिक सभा के द्वारा वे सभी अन्य कार्य भी किये जाते हैं जो अन्य कैण्टनों में विधानमण्डल करते हैं।
2. लोकनिर्णय या जनमत संग्रह (Referendum) - लोकनिर्णय इस विचार पर आधारित है कि प्रत्येक कानून आवश्यक रूप से जनता की इच्छा की अभिव्यक्ति होनी चाहिए और इसलिए जनता को व्यवस्थापिका द्वारा पारित विधेयकों पर निषेधाधिकार प्राप्त होना चाहिए। लोकनिर्णय का तात्पर्य यह है कि विधानमण्डल द्वारा पारित कोई विधेयक कानून का रूप ग्रहण नहीं कर सकता, जब तक कि जनता उसे स्वीकृति प्रदान न करे अर्थात् यदि जनता विधेयक को अस्वीकृत कर दे तो उसे रद्द समझा जायेगा। लोकनिर्णय के दो रूप होते हैं-
(A) अनिवार्य लोकनिर्णय
(B) ऐच्छिक लोकनिर्णय
(A) अनिवार्य लोकनिर्णय - अनिवार्य लोकनिर्णय का आशय यह है कि विधानमण्डल द्वारा पारित सब विधेयकों पर लोकनिर्णय आवश्यक है और बिना जनता की स्वीकृति के ये विधेयक कानून का रूप ग्रहण नहीं कर सकते।
(B) ऐच्छिक लोकनिर्णय - ऐच्छिक लोकनिर्णय का तात्पर्य यह है कि संविधान द्वारा निर्धारित जनता की एक निश्चित संख्या निश्चित समय के भीतर विधान सभा द्वारा पारित विधेयक पर लोकनिर्णय की माँग करे, तभी वह उसके लिए प्रस्तुत किया जायेगा अन्यथा नहीं। यदि जनता द्वारा इस प्रकार की माँग न की जाय तो विधेयक बिना लोक निर्णय के ही स्वीकृत समझ लिया जाता है।
(3) आरम्भिक (Initiatie) - लोक निर्णय जनता को कानूनों के सम्बन्ध में निषेधात्मक शक्ति प्रदान करता है और उसे इस सम्बन्ध में सकारात्मक शक्ति आरम्भक के द्वारा प्रदान की जाती है। आरम्भक के द्वारा जनता को अधिकार दिया जाता है कि वह किसी विधेयक का प्रारूप तैयार करे अथवा प्रस्ताव के रूप में विधानमण्डल से यह मांग कर सकती है कि या तो विधानमण्डल उस प्रस्ताव के आधार पर कानून का निर्माण करे अथवा उस पर लोकनिर्णय लिया जाय। आरम्भक दो प्रकार के होते हैं -
(A) सविन्यासित आरम्भक - सविन्यासित आरम्भक के अन्तर्गत जनता स्वयं ही विधानमण्डल के सम्मुख विधेयक का पूर्ण प्रारूप प्रस्तुत करती है और विधानमण्डल इस प्रारूप को बिना किसी संशोधन के जनता के सम्मुख अन्तिम निर्णय हेतु प्रस्तुत करता है।
(B) अविन्यासित आरम्भक - अविन्यासित आरम्भक के अन्तर्गत जनता विधानमण्डल के सम्मुख कुछ निश्चित सिद्धान्त रखती है। यदि विधानमण्डल इन सिद्धान्तों से सहमत होता है तो उसके आधार पर विधेयक निर्मित करता है और यदि विधानमण्डल इन सिद्धान्तों से असहमत हो तो इन सिद्धान्तों को जनमत जानने के लिए प्रस्तुत किया जाता है। लोकनिर्णय में जनता द्वारा इन सिद्धान्तों को स्वीकृत कर लिये जाने पर विधानमण्डल उनके आधार पर विधेयक का प्रारूप तैयार करता है और इस प्रारूप पर पुनः लोकनिर्णय लिया जाता है।
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